श्री राम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होगा मुंबई का जैन समाज
विश्व के सब से बड़े संघर्ष की फलश्रुति 496 साल के बाद प्राप्त हो गई. संघर्ष के फलस्वरूप 22 जनवरी को भगवान राम की मूर्ति की अयोध्या के ऐतिहासिक भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है
संकल्प और संघर्ष से प्राप्त हुई सिद्धि के आनंद का कोई किनारा नहीं होता, आज आनंद का समंदर में पूरा देश तैर रहा है. विश्व के सब से बड़े संघर्ष की फलश्रुति 496 साल के बाद प्राप्त हो गई. संघर्ष के फलस्वरूप 22 जनवरी को भगवान राम की मूर्ति की अयोध्या के ऐतिहासिक भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है अर्थात् सबके आराध्य राम भक्तों की याचना स्वीकार करते हुए अपने भक्तों का मान बढ़ाने हेतु विराजमान होने जा रहे हैं. ज्ञातव्य है कि भगवान राम को चौदह वर्ष का वनवास हुआ था किन्तु अयोध्या को तो 496 वर्ष का वनवास झेलना पड़ा. भक्तो के कण-कण में बसे भगवान राम के बिना लगभग 500 वर्षों की प्रतिक्षा के बाद राम कृपा से ही राम की अयोध्या फिर राम के ही आशीर्वाद और भक्तो की दढ़ श्रद्धा से राममय होने जा रही है .
जैन धर्म में भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को सिद्ध पुरुष माना है. शत्रुंजय गिरिराज जो सिद्धक्षेत्र है और जैनो के लिए पूरे ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा पवित्र महातीर्थ है वो गिरिराज पे भी सिद्ध पुरुष श्री राम की प्रतिमा प्रतिष्ठित है और हर साल लाखों जैन जो यहाँ यात्रा करने आते है वो प्रभु राम के दर्शन का लाभ लेते है. अयोध्या की पवित्र भूमि में बैठकर जैन धर्म के प्राचार्यों ने कई शास्त्र, सूत्र रचे हैं. अयोध्या नगरी का जैन धर्म के लिए भी विशेष स्थान है, यहाँ विभिन्न तीर्थंकरों के जीवन से सम्बंधित १८ कल्याणक घटित हुए हैं| अयोध्या नगरी को वर्तमान चौबीसी के पांच -पांच तीर्थंकर (आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंद नाथ, सुमतिनाथ एवं अनंतनाथ ) की जन्मस्थली होने का गौरव प्राप्त है| भगवान श्री आदिनाथ (श्री ऋषभदेव) का वर्णन ऋग्वेद, अथर्ववेद, मनुस्मृति, और भागवत अदि ग्रंथो में व्यवस्थित वर्णन है.
राम जन्म भूमि के लिए जैनो ने भी बलिदान दिया है जिसे याद करने से आज हम भाव विभोर हो जाते है. हमें गौरव है वो भीलवाड़ा के बलिदानी सुरेश जैन पे जो राम मंदिर आंदोलन के समय 12 मार्च 1991 को रैली के दौरान कार सेवकों को तितर बितर करने के लिए पुलिस द्वारा चलाई गोली से शहीद हुए थे. इस दौरान शाहपुरा ज़िले के ख़ामोर निवासी रतन लाल सेन भी उनके साथ शहीद हुए. राम कुमार कोठारी और शरद कुमार कोठारी सगे भाई थे, जो अक्टूबर 1990 में कार सेवा में भाग लेने के लिए अयोध्या आए थे. कोलकाता के निवासी कोठारी बंधुओं के अलावा उनके मां-बाप की और कोई संतान नहीं थी. जब बात हिन्दू राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा की है,जैन समुदाय का योगदान तो एक मिसाल बन गया है.
इतिहास ने जैनो के योगदान और बलिदान को सुवर्ण अक्षर से लिखा है और लिखेगा. राष्ट्र को गौरव है ऐसे जैन एडवोकेट पर जिसने राम मंदिर केस में फीस के तौर पर 1 भी रुपया नहीं लिया. वकील पिता और बेटे की इस जोड़ी ने सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष को राम जन्मभूमि केस में जीत दिलाई, जिसके बाद मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया.पिता हरि शंकर जैन और बेटा विष्णु शंकर जैन राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद, काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह में हिंदू पक्ष की ओर से पैरोकार हैं. और एक जैन समुदाय का रत्न, विश्व वोरा,२१ साल का नवयुवक जिसके ऊपर विश्व को फक्र है . अहमदाबाद में साबरमती गुरुकुल का ये विद्यार्थी जिसने सिद्धि, मुहूर्त मार्तंड, मुहूर्त चिंतामणि, वृहद दैवज्ञ, बृहद पराशर होरा शास्त्र जैसे ग्रंथों का अध्ययन करके अभिजीत का सूक्ष्म मुहूर्त 88 सेकंड दिया गया। ये मूल आधार ग्रंथ हैं। जिसकी मदद से दिन भी तय हुआ।
श्री मुंबई जैन संघ संगठन जो मुंबई नगरी के 1150 संघ और करीब 15 लाख जैनो का प्रतिनिधित्व कर रहा है उसने ये पवित्र प्रसंग को लेकर 22 तारीख को प्रत्येक जैन को घर घर में दीप जलाने का, रंगोली सजाने का, दुकान,ऑफिस के द्वार पर तोरण लगाने का, भोजन में शगुन का प्रतीक लापसी ,मिठाइयों का आहार ग्रहण करने का मार्गदर्शन भी जारी किया है. जैनो इस ऐतिहासिक प्रसंग की ख़ुशी सब को बाटेंगे. हमारे दिन, दुखी मानव को भी मिष्ठ भोजन परोसेंगे. श्री मुंबई जैन संघ संगठन के पदाधिकारिओं भी सीनियर सिटिज़न्स के साथ २२ तारीख को मुंबई में नारिमान पॉइंट से लेकर मरीन लाइंस तक श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा की खुशिओ को ज़रुरतमंद को मिठाइओ के वितरण करेंगे . जैनो के आचार्य भगवंत साधु समुदाय भी ये संगठन के जरिये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी, राम मंदिर ट्रस्ट, विश्व हिन्दू परिषद, राष्ट्रीय सेवक संघ को आशीर्वाद भेज रहे है और प्रत्येक जैन सच्चे दिल से आप सभी धर्मयोध्दा का अभिवादन करते है.
श्री राम जन्मभूमि के लिए 76 बार संघर्ष हुआ, जिसमें चार लाख से ज़्यादा हिंदुओं ने बलिदान दिया। इसलिए अयोध्या में राम मंदिर मात्र मंदिर निर्माण नहीं, अपितु भारत की उस पवित्र संस्कृति, आर्य देश के संस्कार, विस्मृत ज्ञान परंपरा, त्याग, सत्य, करुणा, समता, सामाजिक समरसता, इन सभी तत्वों को समाज से परिचित कराना है। श्री मुंबई जैन संघ संगठन प्रत्येक राम भक्त को विश्वास का सन्देश भेज रहा है की इस पुण्यवंत कार्य में विश्व भर के जैनो सदा आपके साथ है और साथ रहेंगे.